Recurrent cold , cough , wheez . Allergic Rhinitis , Symptoms , Treatment , Allergy testing.

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Published at : November 09, 2021

बार बार सर्दी होना और नाक की सर्जरी: क्या है सच?? एवं सबसे ज़्यादा विश्वसनीय कारगर उपचार

आपने इर्द गिर्द ऐसे बहुत से लोग देखे होंगे जिन्हें आये दिन सर्दी, होती रहती है। इनकी संख्या कम नहीं बल्कि 100 में से 20 के लगभग लोगों को है...कम या ज़्यादा।

दिखने में मामूली यह बीमारी व्यक्ति के जीवन, पढाई,काम, आपसी रिश्तों, उर्ज़ा और इमेज पर काफ़ी बुरा प्रभाव डालती है।
सर्दी को गंभीर बीमारी नहीं माना जाता ऐसे में इन लोगों के बार बार बीमार होने को उनका आलस्य, लापरवाही, काम न करने का बहाना , कमज़ोर होना, नाज़ुक होना,
वगैरह समाज में समझ लिया जाता है।

ज़हाँ अन्य बीमारियों में देखभाल, सहानुभूति, मिलती है ये लोग इस तरह के वाक्य का सामना सुन सुन कर आहत होते रहते हैं।

1. बड़े नाज़ुक हो यार
2. कहीं बहाना तो नहीं बनाते काम न करने का
3.वो तो जब तक बीमार ही पड़ी रहती है
4.भाई तुम इतना बीमार क्यों होते हो( जैसे उसे उसे मज़ा आ रहा हो बीमार होने में
5. अबे सर्दी ही तो है तू तो ऐसा कर रहा जैसे कैंसर हो गया हो
6. च्यवनप्राश , खा कर देखो, ये दवा लो, वो दवा लो, ये नुस्खे, वो नुस्खे, ये पद्धति वो पद्धति।
7.तुम्हारी दिन चर्या सही नहीं है। साफ़ ,सफ़ाई का ध्यान रखते हो या नहीं?

#लक्षण:
नाक ब्लॉक रहना , बहुत छींके आना, शुरुआती लक्षण होते हैं। लेकिन नाक ब्लॉक होने और नाक के इर्द गिर्द एवं माथे पर मौज़ूद sinuses ( छोटे ,छोटे हड्डियों के बने खाली बॉक्स से होते हैं जिनमें हवा होती है,एवं इनके छिद्र नाक में खुलते हैं) के छिद्र म्यूकस एवं इंफ्लामशन से अवरुद्ध हो कर साइनोसाइटिस हो सकती है।
आँखों के नीचे गड्ढे या उभार भी बन जाते हैं। जिन्हें लोग कमज़ोरी से बना मानते हैं।

साइनोसाइटिस की वज़ह से व्यक्ति में थकावट, सर दर्द, चिड़चिड़ापन, अवसाद, बार बार बुखार हो जाना , लंबे समय चलने वाली खांसी एवं गले एवं कान के इन्फेक्शन हो सकते हैं। मुँह से सांस लेने पर गले के इन्फेक्शन , नींद न आना ,मुँह से दुर्गन्ध जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
अवसाद, चिड़चिड़ापन और हेल्पलेसनेस की मानसिकता व्यक्ति के निजी रिश्तों पर बेहद बुरा प्रभाव डाल सकती है और तब व्यक्ति को स्वयं एवं उसके अपनों को नहीं पता होता कि इत्ती सी सर्दी की वज़ह से यह सब हो रहा है।

Diagnoses / निदान :

विभिन्न चिकित्सकीय सलाह में कोई कहता है इम्युनिटी कम है।

तो कोई स्पेशलिस्ट कह देता है , नाक का सेप्टम टेढ़ा है या नाक की हड्डी बढ़ी है , ऑपेरशन करना पड़ेगा।
यह लेख तभी लिखने का विचार आया जब एलर्जी से पीड़ित एक बच्चे की माँ ने बताया कि परसों वो अपनी नाक का ऑपरेशन करवाने जा रही है। क्योंकि बच्चे के साथ साथ उसे भी बार बार सर्दी होती है।

दरअसल बार बार सर्दी होने वाले मरीजों में से 90 प्रतिशत को नाक की बीच वाली हड्डी के टेढ़े पन से नहीं
बल्कि नाक की एलर्जी से बार सर्दी होती है।

नाक की क्रोनिक (लंबे समय वाली) एलर्जी की वज़ह से बार बार नाक की म्यूकोसा (झिल्ली) में सूजन से अंदरूनी साँस का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।

इसे मेडिकल भाषा में allergic rhinitis कहते हैं। इसके कुछ प्रकार भी होते हैं जो यहाँ नहीं समझा रहा अभी।

Complication: एलर्जिक रायनाइटिस का सही उपचार न लेने पर कुछ वर्षों में साइनोसाइटिस होने एवं अस्थमा हो जाने की सम्भावना बढ़ जाती है।

#उपचार :

उपचार के पहले बता दूं कि नाक की सर्जरी करवाना है या नहीं???

नाक की सर्जरी का परामर्श आपने बहुतों के लिए सुना होगा। कुछ ने ऑपरेशन करवा लिया फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ।

ऑपरेशन की यह सलाह कई मामलों में पुरानी मान्यताओं के आधार पर होती है और काफ़ी ज़ल्दी दे दी जाती है। ऑपरेशन की ज़रूरत बेहद कम मरीजों को ही होगी। और जिनका ऑपरेशन होगा उन्हें भी नाक की एलर्जी का मेडिकल उपचार तो लंबे समय लेना ही होगा।

अतः बिना सही मेडिकल उपचार का इस्तेमाल किये सीधे सर्जरी की सलाह को मैं ग़लत कहूँगा। सर्ज़री की सलाह ज़रूरी हो सकती है किन्तु सही मेडिकल उपचार के कारगर न होने पर ही ,बशर्ते कि सर्ज़री के कारण मौज़ूद हों।

तो उत्तर यह है कि सर्वप्रथम तो नाक की एलर्जी का उपचार करवाना है। सर्जरी बेहद रेयर केस में काम आएगी। जब septam बहुत ही टेढ़ा हो, गंभीर साइनोसाइटिस हो, पोलिप बन गए हों।

मेडिकल उपचार में आजकल बेहद तरक्की हुई है और यह आसानी से कण्ट्रोल की जा सकने वाली बीमारी बन गयी है। लेकिन इलाज लंबे समय तक या जीवन भर भी चलता रह सकता है।

इलाज बेहद सस्ता एवं सुरक्षित होता है। तकरीबन साइड इफ़ेक्ट रहित।

A. Allergy testing:

यह एक महत्वपूर्ण कदम है जानने का कि आखिर किन चीज़ों से एलर्जी होती है।

जिससे उस चीज़ को अवॉयड किया जा सके या मरीजों में एलर्जी का परमानेंट उपचार इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल किया जा सके।

एलर्जी टेस्ट 2 तरह के होते हैं। एक रक्त से लिया जाता है। दूसरा प्रकार त्वचा पर दर्द रहित प्रिक करके किया जाता है।

नाक की एलर्जी के लिए त्वचा वाला टेस्ट ही बेहतर है। इसका रिजल्ट तुरंत मिलता है। रक्त जांच की तुलना में सस्ता होता है। लेकिन इसकी उपलब्धता कम होती है।
इसकी कीमत 3000 से 8000 रूपये के बीच अलग अलग शहरों में होती है। हर शहर के एलर्जी वाले तत्व भी अलग होते हैं।

मैंने जबलपुर में तकरीबन 500 एलर्जी टेस्ट किये और उनका डेटा विश्लेषण किया।
पाया कि यहाँ घर की धूल में मौज़ूद डस्ट mite प्रमुख कारण है।


Allergic rhinitis or recurrent cold and cough with or without asthma is one of the most common health illness of all the age groups. This simple looking dise
ase creates extremely bad impact on quality of life of the patients if not treated well.

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